Prepared by: Ravi. M., GHSS, Kadannappally, Kannur
1. तालिका की पूर्ति करके लिखें। 2
पाठ | प्रोक्ति | रचयिता |
सकुबाई | एकपात्रीय नाटक | नादिरा ज़हीर बब्बर |
बाबूलाल तेली की नाक | कहानी | स्वयंप्रकाश |
वह तो अच्छा हुआ | कविता | भगवत रावत |
वापसी | कहानी | उषा प्रियंवदा |
2. अंग्रेज़ी शब्दों के स्थान पर समानार्थी हिंदी शब्द रखकर पुनर्लेखन- 2 चेन्नै जाने के लिए मैंने आरक्षण किया था, लेकिन माँ की बीमारी के कारण रद्दीकरण करना पड़ा। उनकी एक शल्यक्रिया थी। |
3. कोष्ठक से घटनाएँ चुनकर सही क्रम से खाली स्थान की पूर्ति। 2
गजाधर बाबु रिटायर होकर घर वापस आया। शाम का खाना पकाने की जिम्मेदारी बसंती को सौंप दिया। गजाधर बाबु ने खर्च कम करने का सुझाव दिया। चीनी मिल में नौकरी के लिए गया।
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4. डौली की माँ की चरित्रगत विशेषताएँ। 2
5*. जीवन में पहली बार इतनी बुरी तरह ठगे गये हैं- बाबूलाल तेली ने ऐसा क्यों सोचा? 2
सेठ के शानदार अस्पताल में अनावश्यक टेस्टें करनी पड़ीं और विभिन्न मालों में घूम-फिरना पड़ा। ठीक इलाज के बिना ही बड़ी रकम देनी भी पड़ी। इसलिए बाबूलाल तेली को ऐसा लगा कि जीवन में पहली बार इतनी बुरी तरह ठगे गए हैं।
6*. ग्वाले के प्रति महादेवी का संदेह विश्वास में कैसे बदल गया? 2
कुछ दिनों तक निरीक्षण-परीक्षण, एक्स रे आदि के बाद पशु-चिकित्सकों ने निर्णय दिया कि गाय को सुई खिला दी गई है। किसी ने जान बूझकर गुड़ की डली में सुई रखकर खिलायी है बताने पर ग्वाला अप्रत्यक्ष हो गया था। तब ग्वाले पर महादेवी वर्मा का संदेह विश्वास में बदल गया।
7*. कवि ने कारखाने को स्वार्थ का प्रतीक कहा है तो नदी और साबून किनके प्रतीक हो सकते हैं? क्यों? 2
मानव और पशु-पक्षियों की सेवा करती रहनेवाली नदी शोषित का प्रतीक है क्योंकि सबकी सेवा करने पर भी मानव उसका सदा शोषण ही करता रहता है। नदी का जीवनपोषक गुण नष्ट करनेवाला साबुन शोषक का प्रतीक हैं।
8**. डिसेक्शन हॉल के अनुभवों के आधार पर देवदास की डायरी। 4
दिन:......................
तारीख:..................
आज मैं जल्दी उठकर तैयार हुआ। मेडिकल कॉलेज में आज मेरा पहला दिन था। थोड़ी-सी घबराहट थी। पहले एक ट्यूटर ने अनॉटमी हॉल में प्रवेश करने का निर्देश दिया। हाजिरी ली गई। हॉल में मर्तबानों में मानव शरीर के अंग दवा में डालके रखे गए थे। फिर प्रोफेसर डी. कुमार का भाषण था। बड़ा उपदेशात्मक और ज़ोरदार भाषण। पूरे उपदेश और निर्देश भरे थे। फिर डिसेक्शन हॉल। हॉल के अंदर मेज़ों पर एक-एक लाश पड़ी थी। हे भगवान! वहाँ की बदबू असह्य थी। ऊबाऊ तीखी गंध। आठ छात्रों के लिए एक लाश थी। मुझे और लक्ष्मी को एक हाथ मिला। यह बँटवारा लक्ष्मी को पसंद नहीं आई। वह कोई लड़की सहयोगी चाहती थी। एक कद्दावार टंकी में कई लाशें तैरती थीं। मौत का कुआँ जैसा लगता था। आज का दिन मैं कभी नहीं भूल सकता।
9**. ग्राहक विज्ञापनों के कारण बाज़ार में ठगे जाते हैं। विज्ञापनों के बुरे असर से बचने का संदेश देते हुए एक पोस्टर- 4
ग्राहको!
सावधान!!
बाज़ार से सामान खरीदते समय:
गुणवत्ता पर ध्यान दें।
विज्ञापनों के मोहजाल में न पड़ें।
ठगे न जाएँ।
मुफ़्त में कुछ मिलने के लिए,
अनावश्यक सामान न खरीदें।
माप-तौल पर विशेष ध्यान दें।
ग्राहक सुरक्षा समिति, मिनापुर
10**. हाथियों के झुंड द्वारा घर और खेत बरबाद हो जाते हैं। इस संबंध में अमल-राकेश के बीच का वार्तालाप। 4
अमल: अरे राकेश! क्या तुम जानते हो? एक हाथी ने गाँव में बड़ा हलचल मचा दिया है।
राकेश: बताओ न, क्या हुआ?
अमल: तोरपा ब्लॉक में उतरे एक हाथी ने कई घरों और इनसानों को रौंद डाला।
राकेश: हे भगवान! फिर?
अमल: कुछ लोग अस्पताल में हैं।
राकेश: ये सब क्यों होते हैं
अमल: इसका ज़िम्मेदार मानव ही है।
राकेश: कैसे?
अमल: मानव ने जंगल काट लिया तो हाथी को खाना और घर नष्ट हुए।
राकेश: याने तब हाथी गाँवों में उतरने लगे।
अमल: वे और क्या कर सकते हैं यार?
राकेश: अच्छा। तो इस समस्या का समाधान क्या है?
अमल: जंगलों को बचाना चाहिए। लेकिन जंगलों का नाश अब भी हो रहा है।
राकेश: वन संरक्षण के लिए सरकारी नियम तो हैं न?
अमल: नियम होने से क्या फायदा? नियम का पालन करना ही अनिवार्य है।
राकेश: ठीक है अमन। कल मिलेंगे।
अमल: ठीक है।
11**. मित्र के नाम फारसी पत्रकार का पत्र। 4
स्थान:.....................,
तारीख:....................।
प्रिय दोस्त,
तुम कैसे हो? घर में सब कैसे हैं? तुम्हारा काम कैसे चल रहा है? मैं यहाँ ठीक हूँ।
आज मुझे भारत के एक मशहूर पहलवान गामा से मिलने का अवसर मिला। उन्होंने बंबई में विश्व सारे पहलवानों को कुश्ती में चैलेंज दिया। तब मैंने उनसे पूछा कि क्या आप विश्व के सभी पहलवानों को चैलेंज देने से पहले अपने अमुक शिष्य से लड़कर विजय प्राप्त करके दिखाएँगे? वे बहुत हैरान हुए थे. उनका विचार है कि उनका शिष्य उनके पसीने की कमाई है, उनका खून है और उनमें और उनके शिष्य में कोई फरक नहीं है। इसके द्वारा वे यह समझा रहे थे कि भारत में गुरु-शिष्य पवित्र है। उन्होंने मुझसे यह भी कहा कि आप हिंदुस्तानी नहीं हैं इसलिए ऐसा पूछा है। मुझे भी बड़ा आश्चर्य हुआ।
तुम्हारे माँ-बाप को प्रणाम।
तुम्हारा मित्र,
(हस्ताक्षर)
नाम
सेवा में
मुस्तफ़ा.....,
…...................,
…....................।
12. कवितांश युवकों को संबोधित करता है। 1
13. 'अतुल्य शक्ति' 1
14. कवितांश का आशय 3
यह कवितांश युवकों को संबोधित करता है। इसमें युवकों की अतुल्य शक्ति के बारे में बताया गया है।
युवको! तुममें अतुल्य शक्ति है। शक्ति का सदुपयोग और दुरुपयोग दोनों हम कर सकते हैं। लेकिन जब हम अपनी अतुल्य शक्ति का सदुपयोग करते हैं तब बहुत बड़ा सकारात्मक परिवर्तन होता है। उस शक्ति का उपयोग सद्कर्म करने के लिए किया जाए तो हमारे देश का रूप बदल जाएगा, देश में बहुत बड़ी उन्नति होगी। इसलिए सदा सद्कर्म करते रहे।
रचनाकार यहाँ युवकों को अपनी शक्ति का उपयोग अच्छे कर्मों- राष्ट्र के विकास कार्यों- में करने का उपदेश देता है। राष्ट्र की प्रगति के लिए लक्ष्य करनेवाला यह उपदेशात्मक कवितांश बिलकुल अच्छा और प्रासंगिक है।
15. संशोधन करके खंड का पुनर्लेखन- 2
सुधा का बेटा श्रीचंद मेरी गाड़ी में स्कूल आया करता है। आज वह नहीं आया।
16. उचित विशेषण चुनकर खंड का पुनर्लेखन- 2
वह लंबा आदमी अपनी छोटी बहन के साथ उस टूटे-फूटेमकान में रहता है। उसके साथ बूढ़ी माँ भी है।
17. उचित योजक से वाक्य-मिलान- 1
आज स्कूल बस नहीं मिला इसलिए स्कूल में देर से पहुँचा।
18. 'उसकी' में प्रयुक्त सर्वनाम वहहै। 1
19. 'बच्चा सोचेगा' में बच्चा शब्द संज्ञा है। 1
20. व्यापारी पेड़ का निर्णय किस प्रकार करता है? 1
एक व्यापारी देखेगा कि पेड़ की लकड़ी कितनी बड़ी है, उससे कितने रुपए मिलेंगे।
21. पेड़ से हमें क्या-क्या लाभ हैं? 2
पेड़ों से हमें फल-फूल, लकड़ी, औषधियाँ, छाया, ऑक्सिजन आदि मिलते हैं। पेड़-पौधे प्रकृति को हरा-भरा, सुखदायक और आकर्षक बना देते हैं।
* choiced question(2 from 3)
** choiced question(3 from 4)
आप के सराहनीय प्रयत्न को शत-शत प्रणाम
ReplyDeletevery very thanks.
ReplyDeleteMY SPECIAL GRATITUDE TO RAVIJI
ReplyDeleteThanks for your efforts.
ReplyDeleteछात्रों अध्यापकों केलिए सराहनीय कर्य किए हिंदी ब्लोग को प्रणाम ......
ReplyDeleteआपके सभी प्रयत्नों को बहुत बहुत धन्यवाद।
विजयन वी कोष़िक्कोड
Thank you sir.
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