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ഹിന്ദിസഭാ ബ്ലോഗിൽ 9 പോസ്റ്റുകളിലായി जब गाँधीजी की घडी चोरी चली गई എന്ന പാഠഭാഗത്തിന്റെ നോട്ടുകൾ പ്രസിദ്ധീകരിച്ചിട്ടുണ്ട്. അഭിപ്രായങ്ങളും നിർദ്ദേശങ്ങളും കമന്റായി പോസ്റ്റിനു താഴെ👇 രേഖപ്പെടുത്തണമെന്ന് അഭ്യർത്ഥിക്കുന്നു. ഫൈനൽ നോട്ടുകൾ (PDF) ആവശ്യമുള്ളവ‍ർ കമന്റായി e mail id രേഖപ്പെടുത്തുക. മെയിലിൽ അയച്ചുതരുന്നതാണ്......

Friday, September 27, 2024

जब गाँधीजी की घडी चोरी चली गई - 09 (कुछ अन्य प्रोक्‍तिपरक प्रश्‍न-3)

 
कल्पना कीजिए कि आप वायसरॉय माउण्टबेटन हैं। इस मुलाकात के बाद आप अपने मित्र को इस घटना के बारे में पत्र लिख रहे हैं। पत्र लिखें।
स्थान ............ 
तारीख ........... 
प्रिय जॉर्ज, 
    कैसे हो? बहुत दिनों से सोच रही हूँ कि तुम्हें एक पत्र लिखूँ। आज ही अवकाश मिला। 
    आज की मुलाकात अविस्मरणीय रही। गांधीजी से मिलने की बहुत उत्सुकता थी, लेकिन मुलाकात बिल्कुल अलग अंदाज में हुई। हमारे सभी प्रयासों के बावजूद गांधीजी की सादगी ने सब पर भारी पड़ी। कमरे की ठंडक से वे असहज महसूस कर रहे थे, इसलिए उन्हें कूलर बंद करवाना पड़ा। इसके अलावा, उनकी प्रिय घड़ी चोरी हो जाने की बात से वे बहुत दुखी थे। 
    सबसे चौंकाने वाली बात यह थी कि उन्होंने अपना नाश्ता साथ लाया - बकरी के दूध का दही! यह उनके स्वदेशी और स्वावलंबन के सिद्‍धांतों का एक और प्रमाण था। गांधीजी का यह व्यवहार सोचने पर मजबूर करता है कि वे अपनी बात किस सरलता और प्रभावी ढंग से रखते हैं। 
     आशा है, आप जल्द जवाब देंगे, 
 तुम्हारा, 
 माउण्टबेटन 
सेवा में 
    नाम, 
    पता।

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