मैं नहीं चाहता चिर-दुख,
सुख दुख की खेल मिचौनी
खोले जीवन अपना मुख !
सुख-दुख के मधुर मिलन से
यह जीवन हो परिपूरन;
फिर घन में ओझल हो शशि,
फिर शशि से ओझल हो घन !
श्री धर्मवीर भारति बहुमुखी प्रतिभा संपन्न साहित्यकार है। वे प्रयोगवादी कवि के रूप में विख्यात है। टूटा पहिया श्री . धर्मवीर भारति की ब...
ഹിന്ദി മാതൃഭാഷയായ സംസ്ഥാനങ്ങളിലെ പ്രമുഖരുമായി വീഡിയോ കോണ്ഫറന്സുകള്, ക്ലാസുകള്
ഹിന്ദി ഓണ്ലൈന് കലോത്സവം സംഘടിപ്പിക്കൽ (ദേശഭക്തിഗാനം, നാടകം സ്കിറ്റ്, ചലച്ചിത്രഗാനങ്ങള്, കവിതാലാപനം, കഥ, പ്രസംഗം എന്നിവ ഉള്പ്പെടുത്താം
.
ഹിന്ദി ഓണ്ലൈന് പ്രശ്നോത്തരി സംഘടിപ്പിക്കല്
ഹിന്ദി പുസ്തകങ്ങള് ഓണ്ലൈനിലൂടെ പരിചയപ്പെടുത്തല്
ഹിന്ദി സംസാരിക്കുന്നവരുമായി അഭിമുഖം
ഡിജിറ്റല് ഹിന്ദി പത്രനിര്മാണം
, ഹിന്ദി പത്രങ്ങളുടെ പ്രദര്ശനം
ഹിന്ദി ആർട്ട് ഗാലറി തയ്യാറാക്കൽ
.
ഹിന്ദി മാഗസിൻ ഡിജിറ്റല് പതിപ്പ് തയ്യാറാക്കല്
ഹിന്ദി പ്രവര്ത്തകരെ ആദരിക്കല്
ഓഡിയോ, പ്രശസ്ത ഹിന്ദി കഥാകാരൻമാരുടെ രചനകളുടെ വീഡിയോ പ്രദര്ശനം
जी बहुत उपयोगी है आपकी ओर से नये-नये प्रयास ..धन्यवाद...शुभ कामनाएँ ।
ReplyDeleteसुनिल कुमार जी
Deleteधन्यवाद।।।
This comment has been removed by the author.
ReplyDeletePotttswefv
DeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteअच्छा प्रयास है..बहुत उपयोगी है...धन्यवाद..जारी रखें
ReplyDelete***
मैं नहीं चाहता चिर दुख,
सुख दुख की खेल मिचौनी
खोले जीवन अपना मुख!
I don’t want eternal sadness,
the game of happiness and sadness,
opens the mouth of the life.
सुख-दुख के मधुर मिलन से
यह जीवन हो परिपूरण,
फिर घन में ओझल हो शशि,
फिर शशि से ओझल हो घन!
from the pleasant union of happiness and sadness,
the life is fulfilled,
then the moon disappears in the clouds,
and then the clouds disappears from the moon.
जग पीड़ित है अति दुख से
जग पीड़ित रे अति सुख से,
मानव जग में बँट जाएँ
दुख सुख से और सुख दुख से!
The world suffers from much sadness,
and the world suffers from much happiness,
the men will be divided,
from sadness happiness and from happiness sadness!
अविरत दुख है उत्पीड़न,
अविरत सुख भी उत्पीड़न,
दुख-सुख की निशा-दिवा में,
सोता-जगता जग-जीवन।
constant sadness is a harassment,
constant happiness is also a harassment,
in the night and day of happiness-sadness,
awaken and slept world of life.
यह साँझ-उषा का आँगन,
आलिंगन विरह-मिलन का,
चिर हास-अश्रुमय आनन,
रे इस मानव-जीवन का!
this veranda of dusk-dawn,
of embrace of separation and union,
of face of eternal laughing-mourning,
of this human-life!
धन्यवाद
DeleteAre u 😡 mad we want vyakhya
Deleteസര്
ReplyDeleteഇതിന്റെ പി.ഡി.എഫ് ഡൗണ്ലോഡ് ചെയ്യാന് സാധിക്കുമോ?
सराहनीय प्रस्तुति
ReplyDeletepanthji ki yah kavitha padne aur samajhne mein bahuth asaan hei,magar,kaksha mein sampreshaneey karne keliye dhodi dikkath lagi..chhathron mein uthsah jagane mein mushkil lagi.aadyanth ek hee thathv hei na..unka dhyan aakrshith karne keliye zyada koshish karna dha..Thiruvananthapuram hawayee jahaz mein huyee may days ghatana bathakar dukh sukh ka anokha milan vyath kiya dha..Blog mein diya gaya visleshan mereliye bahuth laabhdayak dhi.Dhanyavaad Sir..
ReplyDeleteगूगिल प्ले स्टोर से हांड रेटिंग इन्पुट डौन लोड कर के इस्तेमाल करें। हिंदी में आप आसानी से लिख सकते हैं।
Deleteगूगिल प्ले स्टोर से हांड रेटिंग इन्पुट डौन लोड कर के इस्तेमाल करें। हिंदी में आप आसानी से लिख सकते हैं।
Deletethisd is very bad exeperincree of eme its nots good
ReplyDelete