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1. तालिका की पूर्ति 3-
पाठ | प्रोक्ति | रचयिता |
सफ़र लंबा है मंजिल बाकी है | आत्मकथा | किरण बेदी |
जागरूकता | कहानी | ताराचंद मकसाने |
तोड़ती पत्थर | कविता | सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला |
2. कहानी की घटनाओं को क्रमबद्ध करके लिखें। 2
रेश्मा स्कूल से जल्दी घर पहुँची।
बाबाजी ऊँचे स्वर में मंत्र का पाठ कर रहे थे।
रेश्मा ने सहेली सुधा को फोन किया।
श्रीकांत को देखते ही बाबाजी की बोलती बंद हो गई।
3. रेश्मा की बुआ की विशेषताएँ- 2
उचित उत्तर चुनकर लिखें। (4-7)
4. किरण बेदी पुलिस अफसर बनने से पहले टेनिस में चैंपियन बनकर प्रसिद्ध थीं। 1
5. मंगर के सख्त कमाऊपन पर ईमानदारी ने चार चाँद लगा दिए थे। 1
6. पत्नी अपने पति की तुलना जंगल से करती है। 1
7. पत्थर तोड़नेवाली औरत को कवि ने छिन्नतार से विशेषित किया है। 1
8-10 किन्हीं दो के उत्तर लिखें।
8. मूर्ति पूजा को कबीरदास अंधविश्वास मानते हैं। अत: उन्होंने कहा है कि यदि आप लोग छोटे पत्थर (भगवान की मूर्ति) की पूजा करेंगे तो मैं बड़ा पत्थर (पहाड़) की पूजा करूँगा। इससे अच्छा घर की चक्की की पूजा करना है क्योंकि वह हमें अनाज पीसकर खाना बनाने में सहायता देती है। यहाँ कबीरदास ने व्यंग्यभरी वाणी में अपना समर्थन दिया है। 2
9. किरण बेदी के अनुसार प्रकृति ने स्त्री को अत्यधिक धैर्य से सजाया है। इसलिए वह पुरुष की तुलना में अधिक धैर्य से किसी भी काम कर सकती है। यानि वह बड़ी-सी-बड़ी 'चट्टान को भी काटकर मीठा झरना बहा' सकती है। 2
10. पत्नी यानि गृहिणी को अपने सभी काम अकेले करने पड़ते हैं। वह कभी भी अपने कर्तव्यों से मुँह मोड़ नहीं सकती। छुट्टी लिए बिना हर रोज़ उसे अकेले काम करने पड़ते हैं। कोई भी उसकी सहायता नहीं करता। 2
11. संशोधन- 2
भारत कृषिप्रधान देश है। देश की अधिकांश आबादी खेती से ही जुड़ी हई है। हम उनकी मेहनत का फल खाते हैं।
12. विरामचिह्न जोड़कर वाक्यों का पुनर्लेखन करें। 1
गाँधीजी ने मानव से पूछा: ''क्या आप अहिंसा में भरोसा रखते हैं?''
कवितांश के आधार पर उत्तर (13-16)
13. कवितांश के अनुसार माँ की आँखों के तारे पक्षी हैं। 1
14. आकाश शब्द का समानार्थी शब्द आसमान है। 1
15. शीर्षक- 'पक्षी' 1
16. कविता का आशय 2
पक्षियों के बिना हम प्रकृति की कल्पना भी नहीं कर सकते। तरह-तरह , रंग-बिरंगे, न्यारे-न्यारे और प्यारे-प्यारे पक्षी इस प्रकृति को सुंदर और रोचक बना देते हैं।
यहाँ पक्षी कहते हैं कि हम इस प्रकृति के प्यारे-प्यारे, रंग-बिरंगे और न्यारे पक्षी हैं। हम प्रकृति माँ की आँखों के तारे हैं। आसमान पर उड़ते जाते हम किसी को दुख नहीं देते। हम धरती के लोगों को सुख-दुख के गीत सुनाते हैं। लेकिन हम मानव द्वारा मारे जाते हैं।
यह कवितांश पक्षियों के बारे में है। चहचहाते पक्षी इस प्रकृति की सुंदरता बढ़ाते हैं। यह कवितांश बहुत अच्छी और प्रासंगिक है।
खंड पढ़कर उत्तर लिखना (17-19)
17. त्योहार एकता, भाईचारा, हेल-मेल आदि का प्रतीक है। साथ ही हमारी संस्कृति का परिचायक
भी है। 1
18. उनमें = वे + में (वे सर्वनाम और में प्रत्यय हैं) 1
19. मातृभाषा में अनुवाद 3
ഭാരതം ഉത്സവങ്ങളുടെ നാടാണ്. ഇവിടെ പലതരം ഉത്സവങ്ങള് ഗംഭീരമായി ആഘോഷിക്കപ്പെടുന്നു. അവയില് ദസറ, ദീപാവലി, ഹോളി, ഓണം മുതലായവ പ്രധാനമാണ്.
20. सुधा के नाम रेश्मा का पत्र 4
मुंबई-15,
13-12-2013.
प्रिय सुधा,
तुम कैसी हो? घर में सब कैसे हैं? मैं यहाँ ठीक हूँ। सुधा, श्रीकांत भैया ठीक समय पर मेरे घर पहुँचा था। बाबा ने पुत्रप्राप्ति के लिए अपनी प्रिय से प्रिय वस्तु अर्पित करने के लिए कहा था। मेरी बुआ अपनी सोने की नई चूड़ियाँ उतारने के लिए तैयार हो रही थीं। तभी श्रीकांत भैया आए। उनके आते ही बाबा अपनी दूकान समेटने लगे थे। जब श्रीकांत भैया के मित्र ने बाबा के जटा पर हाथ रखा तब जटा उनके हाथ में आ गया । यह दृश्य देखते ही यहाँ मौजूद सभी महिलाएँ हँस पड़ी थीं। श्रीकांत भैया को मेरी शुक्रिया अदा करना। तुमने भी श्रीकांत भैया को यहाँ तक लाकर मेरी बड़ी सहायता की है। धन्यावाद।
तुम्हारे माँ-बाप को मेरा प्रणाम।
तुम्हारी सहेली,
रेश्मा।
सेवा में
सुधा....,
….............
…..............
21. मंगर की आत्मकथा 4
मैं मंगर, एक खेतिहर मज़दूर हूँ। मैं इस इलाके के खेतों में बेलों से जोतता हूँ। मेरा शरीर हट्टा-कट्टा है। कमर में भगवा, हाथ में पैना, कंधे पर हल आदि मेरी विशेषताएँ बता सकते हैं। मैं सुबह बैलों को लेकर खेतों की ओर जाता हूँ और खेत जोतता हूँ। मैं ईमानदारी से काम करना चाहता हूँ। आलसी बैठना मैं पसंद नहीं करता। पिछले दिन शाम को ही मैं खेतों के आर-पार कर घूम आता हूँ। लोग मुझे वेलोस और रूखा स्वभाववाल मानते हैं। मैं लल्लो-चप्पो नहीं, लाई-लपटाई नहीं। रोज़ कड़ी मेहनत करने से मेरा शरीर मज़बूत है। मेरी शादी नहीं हुई, मेरी कोई संतान भी नहीं। आजकल मेरा शरीर बहुत कमज़ोर बन रहा है। मैं एक अस्थिपंजर बनता जा रहा हूँ।
22. किरण बेदी-सिपाही वार्तालाप 4
किरण बेदी : जल्दी ही दरवाज़ा तोड़ो।
सिपाही : (उदासी से) यह हमारा काम नहीं।
किरण बेदी : फिर यह किसका काम है?
सिपाही : यह अग्निशमन सेवा का है।
किरण बेदी : इतना वक्त कहाँ है? वे लोग कब आएँगे? तब तक ये लोग मर जाएँगे न?
सिपाही : वह तो हम नहीं जानते।
किरण बेदी : तो आप लोग दरवाज़ा नहीं तोड़ेंगे?
सिपाही : नहीं जी, यह काम हमारा नहीं।
किरण बेदी : समय पर यह करने के लिए अग्निशमन सेवा नहीं आती तो आप लोग सहायता नहीं करेंगे?
सिपाही : नहीं।
किरण बेदी : मुझे ही खुद करना पड़ेगा?
सिपाही : वह हमें पता नहीं जी।
23. हिंदी भाषण प्रतियोगिता– पोस्टर 4
सरकारी हायर सेकंडरी स्कूल, कडन्नप्पल्लि
हिंदी दिवस के उपलक्ष्य में
हिंदी भाषण प्रतियोगिता
का आयोजन करता है।
14 सितंबर 2013 पूर्वाह्न 10 बजे
माडायि उपजिले के हाई स्कूलों के छात्र
प्रतियोगिता भाग ले सकते हैं।
संपर्क करें: 04985 277157
तैयारी: Ravi, GHSS, Kadannappally
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meri saadhi nahin huyi.meri koyi santhan bi nahin.yah bilkul galath hey
ReplyDeletemeri saadhi nahin huyi.meri koyi santhan bi nahin.yah bilkul galath hey
ReplyDeleteजी योॆ कहने का क्या कारण है?
प्रिय पॉल जी, पाठ के अनुसार मंगर की शादी के बारे में पता नहीं है। पाठ में दिया है कि 'कोई संतान भी नहीं रही'। आप सही रूप भी देखर सहायता करें। पाठकों के लिए वह सहायक हो सकता है। रवि.
ReplyDeleteവളരെ നന്നായി.
ReplyDeleteआपकेलिए हार्दिक बधाइयॉं।
pls publish question also
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