योग्य नहीं रह गया। प्रदूषित जल अनेक रोग उत्पन्न कर देता है। नदियों की
Tuesday, June 30, 2015
S.S.L.C. Hindi 2
नदी प्रदूषण और उसका समाधान
कहा जाता है कि जल ही जीवन है। नदी एक प्रमुख जलस्रोत है। लेकिन आज हमारी नदियों में नगरों के मालिन्य, कारखानों का दूषित जल, कूड़ा-कचड़ आदि पड़ते रहते हैं। तालाबों एवं नदियों का जल कपड़े धोने से दूषित होता
रहता है। हम देख सकते हैं कि गंगा, यमुना जैसी पवित्र नदियों का जल पीने
योग्य नहीं रह गया। प्रदूषित जल अनेक रोग उत्पन्न कर देता है। नदियों की
मछलियाँ मर रही हैं। प्रदूषित जल अंत में समुद्र में पहुँचता है। इसे रोकने का दायित्व सभी नागरिकों पर है। आबादी नियंत्रण करने से प्रदूषण का खतरा कम होता है। कारखानों से निकलने वाला विषैला जल संयत्रों में पूर्ण उपचार करके नदी में छोड़ना चाहिए। जलाशयों में गंदगी, कूडे-कचरे आदि नहीं छोड़ने हैं। खेतों में कीटनाशी दवाइयों का अनावश्यक उपयोग न करना चाहिए। लोगों में प्रदूषण के प्रति जन चेतना जगृत करना है।
योग्य नहीं रह गया। प्रदूषित जल अनेक रोग उत्पन्न कर देता है। नदियों की
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