Thursday, July 19, 2012
"चिड़िया" पर कुछ बिखरे विचार
दोस्तो,
दसवीं कक्षा की पहली इकाई की कविता चिड़िया पर ज़रा ध्यान दें। हालाकि यह कविता अतिरिक्त वाचन केलिए है पर लगता है, इसे और भी गंभीरता से लेने की ज़रूरत है। इस पोस्ट के पीछे का उद्देश्य भी वही है।
कविता, बौद्धिक तल पर कोई आघात न पहूँचाते हुए पाठकों से सीधा संवाद करती है। आशय या भाव को समझने में कठिनाई नहीं महसूस होते हैं। कविता में प्रयुक्त शब्दों में कोई निगूठ अर्थ की गुजाइश हो, ऐसा भी नहीं प्रतीत होता। इकाई की समस्या की चर्चा में कविता की भागीदारी नगण्य है।
लगता है अब, इकाई से बाहर निकल कर कविता पर विचार-विमर्श करना पड़ेगा। मिश्र जी की चिड़िया केवल एक आहत पक्षी नहीं लगता, वह और भी कुछ कहने की कोशिश करती है। कविता को बारीकी से देखें। चिड़िया,घोंसला,जली हुई ड़ाली और आदमी - कविता के इन मूल शब्दों का विश्लेषण करें और इनके बीच का संबंध ढूँढें।
यहाँ हमने युद्ध,दंगा-फसाद,प्राकृतिक आपदाएं,आतंकवाद आदि से अपने सबकुछ छोड़ कर पलायन करनेवाले साधारण जन की नज़रिए से चिड़िया को देखने की कोशिश की है। आशा है आप कविता को एकाधिक परिप्रेक्ष्य में देखें,विश्लेषण करें। और षेयर भी करें।
part 1
part 2
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बिच्चुजी जी,
ReplyDeleteबहुत सुंदर चितन...आभार!बहुत बढ़िया रचना,सुंदर अभिव्यक्ति,बेहतरीन पोस्ट,....
उम्मीद है कि आगे भी इसी प्रकार लिखती रहेँगी।
'हिंदी सभा' की ओर से शुभकामनाएँ।
बहतरीन प्रस्तुति
ReplyDeleteधन्यवाद।
आपने जो प्रयास किया सचमुच बहुत लाभदायक है
ReplyDeleteधन्यवाद।
अच्छा प्रयास। पसंद आया। रवि.
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteअच्छा प्रयास। पसंद आया। रवि.
ReplyDeleteबिच्चुजी जी,
ReplyDeleteअच्छा है आगे भी इसी प्रकार लिखती रहे
राजॆश आर
जी, वार्षिक योजना तैयार करनेवाले अगस्त और सितंबर महीने की योजना ठीक तरीके से नहीं किए हैं । अगस्त महीने में कितने कालांश मिलेंगे इसपर ज़रा ध्यान दें ।
ReplyDeleteजी, वार्षिक योजना तैयार करते समय अगस्त और सितंबर महीने के कालांश पर ध्यान नहीं दिया है ।
ReplyDeleteजी
ReplyDeleteआपने जो कहा वह ठीक ही है।
पर क्या कहूं ?,क्या करूँ ?
सब कुछ बदल गया है
कालांश,दैनिक योजना,इकाई योजना सब कुछ!
ये सब बीती हुई बातें हैं..
जो बीत गई सो बात गई!!!
जी
ReplyDeleteआपने जो कहा वह ठीक ही है।
पर क्या कहूं ?,क्या करूँ ?
सब कुछ बदल गया है
कालांश,दैनिक योजना,इकाई योजना सब कुछ!
ये सब बीती हुई बातें हैं..
जो बीत गई सो बात गई!!!
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