Powered by Blogger.
NEWS FLASH
അഭ്യാസമില്ലാത്തവര്‍ പാകം ചെയ്തെതെന്നോര്‍ത്ത് സഭ്യരാം ജനം കല്ല് നീക്കിയും ഭുജിച്ചീടും..എന്ന വിശ്വാസത്തോടെ

Friday, June 15, 2012

अध्यापक की ओर से..२

नदी और साबुन कविता पर तैयार की गई और एक सामग्री। एस.एन.जी.एस.एच.एस.कडैक्कोड़ के प्रकाशजी ने इसे हमें भेज दिया है।
 "कराहती नदी की डायरी” 
१५ जनवरी २०१०
 बुधवार 
 मैं आगे यह सह न सकती!जिनकी रक्षा केलिए मैं दिन - रात, हर घंटे  बेरोघटोक  बहती थी, वे अब मेरे खातक बन  चुके हैं।'मानव'- यह नाम सुनते ही अब मैं बेहोश पड जाती हूँ ।क्या करूँ? किससे शिकायत   करूँ? पता नहीं ! मैं  मृतप्राय  हो  चुकी  हूँ। नहाने, धोने,सिंचाई करने, पूजा-पाठ से लेकर सभी संस्कार मेरे किनारे ही संपन्न होते थे। अब लोग मेरे किनारों पर कब्जा कर बडे-बडे कारखाने बना रहे हैं । मेरा स्वच्छ पानी लूटकर मूझे गंदा नाला बना रहे हैं। अब कोई मुझे पहचान न पावोगे ! मेरा रंग रूप सब बदल गया है । दिनों-दिन मेरी प्रदूषण की स्थिती गंभीर होती जा रही है । इसका कारणकार स्वार्थी मानव के बिना और कोई नहीं है। पानी लूटकर, कूडा-कचरा डालकर ,बडी मात्रा में  रेत खनन करके मेरे साथ मानव छेड़-छाड़ कर रहे हैं l मेरे दिन गिने हुए हैं ।  
 
 "कराहती नदी की डायरी”
कृपया कमेंट करें

3 comments:

  1. नव शैक्षिक वर्ष की शुभकामनाऎँ ।
    कराहती नदी की डायरी, बनावट और भाषा दोनों तरीकों से रंगीन हैं।
    सलाम..........

    ReplyDelete
  2. karahthi nadi namak dairy bahuth upayog pradh ho gaya. prakashji shukriya........... RAJESH

    ReplyDelete
  3. This comment has been removed by the author.

    ReplyDelete

'हिंदी सभा' ब्लॉग मे आपका स्वागत है।
यदि आप इस ब्लॉग की सामग्री को पसंद करते है, तो इसके समर्थक बनिए।
धन्यवाद

© hindiblogg-a community for hindi teachers
  

TopBottom