
जब तुम मेरे साथ रहती हो तो अकसर मुझसे बहुत सी बातें पूछा करती हो। और मैं उनका जवाब देने की कोशिश करता हुं।लेकिन अब,जब तुम मसूरी में हो और मैं इलहाबीद में,हम दोनों उस तरह बातचीत नहीं कर सकते।इसतिए मैं ने इरादा किया है कि कभी कभी तम्हें इस दुनिया की और उन छोटे बडे देशों की जो इस दुनिया में हैं,छोटी-छोटी कथाएं लिखा करू(पिता के पत्र पुत्री के नाम-चाचा नेह्रू)
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