भाषापरक : किसी महान व्यक्ति के साथ साक्षात्कार के लिए अनुरूप भाषा के प्रयोग से परिचय पाना। प्रभावशाली सहज और आत्मनिष्ठ भाषा में किसी महान व्यक्ति की जीवनी का अंश तैयार करने की क्षमता प्राप्त करना। विभिन्न भूतकालीन रूप, प्रश्नवाचक शब्द विस्मयादिबोधक शब्द और विरामचिह्नों का उचित प्रयोग समझना।
सहायक सामग्री: मदर तेरेसा स्लाइड शो , डॉ. वी. शान्ता का चित्र-डॉ. शान्ता का जीवन-वृत्त का चार्ट, डायरी पत्र आदि
पहला अंतर :
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? यह किसकी जीवनी का अंश है ?
? किस घटना ने उनके जीवन को बदल दिया ? उत्तर देने का अवसर दें। ऐसे अनेक निस्वार्थ सेवक हमारे समाज में हैं जो अपना जीवन दूसरों केलिए कुरबान करते हैं। छात्रों से ऐसे व्यक्तियों के नाम पूछें। बच्चे उत्तर दें। …............. ….... , …............................. , ….................................... , …............................... ऐसे एक व्यक्ति है डॉ. वी. शान्ता।
चित्र दिखाएँ। (आपने अपना ........................प..सं 45.............................नाखुश थे।)
वाचन प्रक्रिया छात्र सस्वर वाचन।
वाचन का आकलन। वाचन प्रक्रिया का निर्धारण करें । आशय ग्रहण के लिए सहायक प्रश्न पूछें -
? बचपन में डॉ. शान्ता के हीरो सी.वी. रामन और डॉ. एस.चन्द्रशेखर थे। क्यों ?
? सी.वी. रामन कौन थे?
? डॉ. एस. चन्द्रशेखर कौन थे?
? डॉ. शान्ता से दोनों का रिश्ता क्या है?
? बचपन में डॉ. शान्ता पर प्रभाव डालनेवाले व्यक्ति कौन-कौन थे ?
? पढ़ाई के बाद डॉ. शान्ता चिकित्सा के क्षेत्र में जाने का फैसला क्यों किया?
? डॉ. मुत्तुलक्ष्मी रेड्डी कौन थी?
? कैंसर इन्स्टिट्यूट कब खोला गया?
? जनरल अस्पताल में कैंसर यूनिट होते हुए भी डॉ. मुत्तुलक्ष्मी रेड्डी ने अलग कैंसर होस्पिटल खोलने का अभियान शुरू किया। क्यों?
? डॉ. वी. शान्ता ने कैंसर इंस्टिट्यूट में नौकरी स्वीकार करने का निर्णय लिया। अनेक लोग इसमें नाखुश थे। क्यों?
? इस निर्णय लेने में वह किससे अधिक प्रभावित हुई?
छात्रों को उत्तर देने का अवसर दें।
कक्षा में डायरी का यह अंश पेश करें -
वाह ! मेडिकल कॉलेज में आज मेरी भर्ती हुई । यह फैसला जनसेवा के लिए है । आजकल - चिकित्सा क्षेत्र में महिलाएँ बहुत कम हैं। इस प्रोफेशन चुनने में दादाजी सी.वी. रामन और चाचाजी डॉ. एस. चन्द्रशेखरन ने मेरा साथ दिया। हमारी कक्षाध्यापिका का भी मुझपर गहरा असर हुआ। |
स्थान........, तारीख.......। प्रिय राधा, लगता है तुम ठीक हौ ? मैं कुशल से हूँ । कैसा चलता है तेरा काम ? जनरल अस्पताल की हालत बहुत शोचनीय है। अब मेरी नियुक्ति कैंसर यूनिट में हुई। दुख की बात है कि यहाँ भ्रष्टाचार का बोलबाला है । अस्पताल के कुछ डॉक्टर और कर्मचारी मरीज़ों से रिश्वत लेते हैं । दवाओं के थोक व्यापार में कमीशन हड़पते हैं। मेज़, कुर्सी वगैरह खरीदने में घूसखोरी करते हैं । कम पैसों में लेकर दाम बढ़ाकर बिल बनाते हैं । हम जैसे लोग यहाँ काम नहीं कर सकते। यहाँ सत्य और ईमानदारी बिलकुल नहीं है। मैं इसपर निराश हूँ। इसका सामना कैसे करूँ? मालूम नहीं। लेकिन मेरा एक लक्ष्य है- मानव सेवा। इससे पीछे नहीं हट सकती। आगे बढ़ना ही पड़ेगा। तुम्हारा, (हस्ताक्षर ) शान्ता। सेवा में श्रीमति. के. राधा, ................... ......................। |
? कैंसर को क्यों जीवन-शैली बीमारी कहते हैं ?
? कैंसर इंस्टिट्यूट को आगे बढ़ाने के लिए डॉ. वी. शान्ता ने क्या-क्या योजनाएँ बनाईं ?
आज का शोध कल का उपचार है। इस विषय पर एक निबंध लिखें। लेखन प्रक्रिया।
डॉ. शान्ता के व्यक्तित्व से हम प्रभावित होते हैं। डॉ. शान्ता का जीवन-वृत्त छात्रों को चार्ट पेपर पर या आई सी टी द्वारा दिखाएँ।(एक प्रसन्टेशन गाड़्जट में उपलब्ध है)
डॉ. वी.शान्ता का जीवन वृत्त जन्म 11 मार्च 1927 में मैलापुर (चेन्नै) में दादाजी सी.वी. रामन चाचाजी डॉ. चन्द्रशेखर दोनों वैज्ञानिक और नोबल पुरस्कार से सम्मानित गहरे प्रभाव डालनेवाले और एक व्यक्ति थे मुत्तुलक्ष्मी रेड्डी 1949 में एम.बी.बी.एस. पूरा किया 1954 में सरकारी अस्पताल में नौकरी 1955 में कैंसर इंस्टिट्यूट में काम स्वीकार किया। अडयार कैंसर इंस्टिट्यूट का अध्यक्ष 2004 में रमण मैगसेस पुरस्कार पद्मश्री पुरस्कार भी मिला है |
वह अपनी बेटी को लाने स्कूल की ओर चला। कब चला? सामान्य भूतकाल
माधव अभी-अभी दफ़्तर से आया है। कब आया है? आसन्न भूतकाल
अब तक घंटी बजी होगी। संदिग्ध भूतकाल
बेटी जल्दी आने को बोली थी। पूर्ण भूतकाल
( क्रिया संपन्न होकर कितना समय हुआ? )
very useful. one request please try to help english medium students also
ReplyDeletesubjects thayyarakkumbol eng medium students nte karyam marakkalle ennanu request
ReplyDeleteമാഡം
Deleteഇത്തരം മെറ്റീരിയലുകള് തയ്യാറാക്കുന്നതിന്റെ പിന്നിലെ അധ്വാനം മനസ്സിലാക്കുവാന് അഭ്യര്ത്ഥിക്കുന്നു.500 ല്പ്പരം അദ്ധ്യാപകരോട് നേരിട്ടും മെയില് വഴിയും അഭ്യര്ത്ഥിച്ചിട്ടും ആര്ക്കും സമയമില്ല എന്നാണ് മറുപടി.
കൂടുതല് പേര് സഹായിക്കാനെത്തിയിരുന്നെങ്ങില് ഈ ആവശ്യങ്ങള് നിഷ്പ്രയാസം പരിഹരിക്കാമായിരുന്നു...
BEST KANNA BEST
ReplyDeletebaba amte യുടെ കഥ കൊടുത്തത് വളരെ ഉചിതമായി
ReplyDeleteहिंदी में अंग्रेज़ी मीडियम के लिए कुछ अलग बातें करने की क्या ज़रूरत है? हिंदी की मीडियम हिंदी ही होती है न?!
ReplyDeleteमनोज जी
ReplyDeleteमुझे लगता है कि श्रीलताजी का इशारा ऐ.सी.टी.जैसे विषयों के बारे में होगा।
मेल लिस्ट की सूचनाओं से मालूम होता है कि वे अबुदाबी में रहनेवाली हैं।
വളരെ നല്ലത്.
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