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Thursday, October 27, 2011

रविजी का पत्र

दूधो नहाओ पर व्याख्या
पयारे हिंदी अध्यापक बंधुओ,
क्या आप लोगो ने इस संदर्भ पर ध्यान दिया है?
"गौरा प्रात: सायं बारह सेर के लगभग दूध देती थी, अत: लालमिण के लिए कई सेर
छोड देने पर भी इतना अधिक शेष रहता था कि आसपास के बालगोपाल से लेकर
कुत्ते-बिल्ली तक सब पर मानो 'दूधो  नहाओ' का आशीर्वाद फलित होने लगा।" (गौरा
पृ.सं. 13)

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1 comment:

  1. दूधो नहाओ पर आपकी व्यख्या बहुत अच्छा हैं। बधाइयॉं ।

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