हाल
ही में मेरी मुलाकात गांधीजी
से हुई। मैंने उन्हें चाय पर
बुलाया था और हमारी मुलाकात
बड़े ही दिलचस्प तरीके से हुई।जब
वे आए,
तो
हमने उनके लिए खास तैयारियाँ
की थीं। कमरे को ठंडा करने के
लिए हमने कूलर चलाया,
लेकिन
गांधीजी को ठंड लगने लगी और
उन्होंने कूलर बंद करने को
कहा। वे इतने सादगी पसंद हैं
कि नाश्ते में कुछ भी नहीं
लिया। उन्होंने अपना नाश्ता
खुद लाया था,
बस
थोड़ा-सा
दही।
हमने
राजनीति पर बात करने की कोशिश
की,
लेकिन
अपनी घड़ी खोने की बात से वे
परेशान थे। उनकी सरलता और
सादगी देखकर मुझे समझ आया कि
वे अपने तरीके से बड़ा संदेश
दे रहे थे। यह मुलाकात मेरे
लिए एक अलग अनुभव था।