माँ...माँ आज घर से चली गई।
जब माँ यहाँ थीं, पता नहीं था वे क्या थीं।
अब घर सूना सा... अभी सब कुछ पता चला।
हमारी गलती के कारण माँ चली गई।
वृद्धावस्था में उन्हें प्यार, दया, ममता और शांती देने चाहिए थे।
परंतु...हमने क्या किया ?
उनको बोझ समझा।
इधर से उधर... उधर से इधर उनको आना जाना पड़ा।
हमने अपनी ज़िम्मेदारी आपस में बाँट दीं।
माँ समझ ली हमारी दिक्कत...। वे चली गईं।
अब क्या करूँ, भगवान !
कल ही वृद्धाश्रम जाऊँ... उन्हें वापस बुलाऊँ...
good effort . very helpful
ReplyDeleteThanks
ReplyDeletebahut achha hai
ReplyDeleteधन्यवाद
ReplyDeleteThank you madom.very helpful
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