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Sunday, September 04, 2016

ठाकुर का कुआँ | कविता-ओमप्रकाश वाल्मीकि

ओमप्रकाश वाल्मीकि की कविता ठाकुर का कुआँ पढिए। कहानी के प्रवेश कार्य केलिए इसका उपयोग कैसे कर सकते हैं?  सेचिए... कमेंट भी करें।
चूल्‍हा मिट्टी का
मिट्टी तालाब की
तालाब ठाकुर का ।

भूख रोटी की
रोटी बाजरे की
बाजरा खेत का
खेत ठाकुर का ।
बैल ठाकुर का
हल ठाकुर का
हल की मूठ पर हथेली अपनी
फ़सल ठाकुर की ।

कुआँ ठाकुर का
पानी ठाकुर का
खेत-खलिहान ठाकुर के
गली-मुहल्‍ले ठाकुर के
फिर अपना क्‍या?
गाँव?
शहर?
देश?

2 comments:

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