जीवन परिचय बिंदु | रहीम दास जीवन परिचय | |
पूरा नाम | अब्दुल रहीम खाने खाना | |
जन्म | १५५६ लाहौर अकबर काल | |
मृत्यु | १६२७ | |
पिता | मरहूम बैरम खाने खाना | |
प्रसिद्धी | कवी | |
रचनाएँ | रहीम दोहावली, रहीम सतसई, मदनाश्टक, रहीम रत्नावली |
वे रहीम नर धन्य हैं, पर उपकारी अंग।
बाँटनवारे को लगै, ज्यौं मेंहदी को रंग॥
अर्थ: वे पुरुष धन्य हैं जो दूसरों का उपकार करते हैं। उनपे रंग उसी तरह उकर आता है जैसे कि मेंहदी बांटने वाले को अलग से रंग लगाने की जरूरत नहीं होती।
और एक अर्थ : रहीम कहते हैं जिस प्रकार मेहँदी लगाने वालों को भी उसका रंग लग जाता हैं उसी प्रकार पर नर सेवा करने वाले भी धन्य हैं उन पर नर सेवा का रंग चढ़ जाता हैं |
और एक अर्थ : रहीम कहते हैं कि वे लोग धन्य हैं जिनका शरीर सदा सबका उपकार करता है. जिस प्रकार मेंहदी बांटने वाले के अंग पर भी मेंहदी का रंग लग जाता है, उसी प्रकार परोपकारी का शरीर भी सुशोभित रहता है.
badiyaa ji...
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