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Saturday, November 28, 2015

कबीर का दोहा

बड़ा हुआ तो क्या हुआ, जैसे पेड़ खजूर |
पंथी को छाया नाहिं, फल लागे अति दूर ||


खजूर के पेड़ के भाँति बड़े होने का कोई फायदा नहीं है, क्योंकि इससे न तो यात्रियों को छाया मिलती है, न इसके फल आसानी से तोड़े जा सकते हैं | आर्थात बड़प्पन के प्रदर्शन मात्र से किसी का लाभ नहीं होता |
खजूर के पेड़
Dates on date palm
खजूर
खजूर (फीनिक्स डेक्टाइलेफेरा) एक ताड़ प्रजाति का वृक्ष है, जिसकी कृषि बड़े पैमाने पर इसके खाद्य फल के लिए की जाती है। चूँकि इसकी खेती बहुत पहले से हो रही है इसलिए इसका सटीक मूल स्थान तलाशना लगभग असंभव है, लेकिन जलवायु के परि इसकी अनुकूलता को देखते हुये कहा जा सकता है के इसका मूल शायद उत्तरी अफ्रीका के किसी नख़लिस्तान या शायद दक्षिण पश्चिम एशिया में है। यह एक मध्यम आकार का पेड़ है और इसकी ऊँचाई 15-25 मीटर तक होती है, अक्सर कई तने एक ही मूल (जड़) प्रणाली से जुडे़ होते है पर यह अक्सर अकेले भी बढ़ते है।

1 comment:

  1. सोमनजी आपको बहुत बहुत शुक्रिया। जी रहीम के दोहे का जो आशय है उसे व्यक्त दिया जाय तो बहुत उपयोगप्रथ होगा।

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