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Thursday, July 29, 2010

कविता

गद्य बुद्धी की चीज़ है तो कविता हृदय की चीज़ है।कविता में ऐसी जादू है वह हमारे मन को शांत बना देती है।हम कोई कविता फूल जाएँ तो ऐसी चटपटाहट होती है जैसी की पुराने मित्र के बिछड़ जाने से होती है।

कविता पर रुची बढ़ाने केलिए एक प्रक्रिया। यह २००८-०९ वर्ष मलप्पुरम जिला पंचायत के विजयभेरी (अध्यापकों केलिए सहायक पुस्तिका)में प्रकाशित है।इसके पीछे काम किए सभी को धन्यवाद।

इसका पी.डी.एफ.रूप(टीचर वेरशन के साथ) डौनलोड्स में उपलब्ध है।

अध्यापक तालिका प्रस्तुत करें।

खिचडी
मंदिर
कुर्ता
बिरियाणी
खुरान
मस्जिद
शेरवाणी
गीता

तालिका के आधार पर जोडा बनाएँ

जैसे- मस्जिद - मंदिर

अध्यापक श्यामपट पर सूचीबद्ध करें

जोड़े से वाक्य बनाएँ

जैसे- हिंदु जाता है मंदिर

मुस्लिम जाता है मस्जिद।

अध्यापक श्यामपट पर लिखें।

अध्यापक कविता की ये पंक्तियाँ चार्ट पर प्रस्तुत करें।


हिंदु जाता है मंदिर

मुस्लिम जाता है मस्जिद।

मंदिर मस्जिद अलग है

दोनों का मतलब एक है।


अध्यापक बच्चों के साथ आलाप करें

इसी प्रकार तालिका के बाकी शब्दों के सहारे कविता को आगे बढ़ने का निर्देश दें।

  • बच्चे वैयक्तिक रूप से लिखें।

  • दलों में चर्चा करके परिमार्जन करें।

  • हर एक दल प्रस्तुत करें।

  • संशोधन कार्य चलाएँ।

  • उचित शीर्षक देने का निर्देश दें।

टीचर वेरशन

हिंदु जाता है मंदिर
मुस्लिम
जाता है मस्जिद।
मंदिर
मस्जिद अलग है
दोनों
का मतलब एक है।

हिंदु
पहनता है कुर्ता
मुस्लिम
पहनता है शेरवानी
कुर्ता
शेरवानी अलग है
दोनों
का कपडा एक है।

हिंदु
पढ़ता है गीता
मुस्लिम
पढ़ता है खुरान
गीता
,खुरान अलग है
दोनों
का संदेश एक है।

हिंदु
खाता है खिचड़ी
मुस्लिम
खाता है बिरियाणी।
खिचड़ी
बिरियाणी अलग है
दोनों
भूख मिटाता है।



1 comment:

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